जुलाई 06 | संत मरिया गोरेती

मरिया गोरेत्ती का जन्म 16 अक्टूबर, 1890 को इटली के एक गरीब कृषक के परिवार में हुआ। वह अपने माता-पिता की छ: सन्तानों में दूसरी थी। खेती से परिवार का पालन-पोषण न हो पाने के कारण उनके परिवार के सद्स्य दूसरी जगह जा कर दूसरों के खेतों में काम करने लगे।

जब मरिया 9 साल की थी मलेरिया के कारण उनके पिताजी का देहान्त हुआ। पिताजी की मृत्यु के बाद मरिया का परिवार और ज़्यादा गरीब बन गया। पिताजी की मृत्यु के समय मरिया की माँ गर्भवति थी।

मरिया अशिक्षित थी और पढ़ना-लिखना नहीं जानती थी। परन्तु उसको येसु और माता मरियम की शिक्षा तो ज़रूर दी गयी थी। उसने यह भी सीख लिया था कि कोई मारक पाप करने से अच्छा मृत्यु को अपनाना है। उसने 12 साल की आयु में अपना पहला परम प्रसाद ग्रहण किया। मरिया एक विनम्र और पवित्र लडकी थी।

मरिया के घर में ही एक और परिवार रहता था। वहाँ एलेक्सान्द्रो नामक लड़का था। अलेस्सान्द्रो मरिया की ओर आकर्षित हुआ और उस के साथ शारीरिक संबन्ध बनाने की कोशिश की। मरिया ने अपनी शारीरिक पवित्रता बनाये रखने का दृढ़संकल्प लिया था। अलेस्सान्द्रो ने उसको धमकी भी दी कि यह बात किसी को बताने पर वह उसे मार डालेगा। 5 जुलाई, 1902 को जब मरिया अकेली थी, अलेस्सान्द्रो ने एक चाकू दिखा कर मरिया को डराया और उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की। मरिया ने ऐसे पाप न करने के लिए अलेस्सान्द्रो से याचना की और उसे पाप करने नहीं दिया। इस पर अलेस्सान्द्रो ने चाकू से 14 बार उसे घायल किया।

14 घंडों तक दर्द सहने के बाद उसने पाप-स्वीकार संस्कार को ग्रहण किया और येसु से मिलने के लिए अपने आप को तैयार किया। अंतिम श्वास लेने के पहले उसने कहा, “मैं अलेस्सान्द्रो को क्षमा करती हूँ और मैं चाहूँगी कि वह मेरे साथ स्वर्ग में रहे”।

अलेस्सान्द्रो को 30 साल तक जेल में बिताना पडा। छ: साल तक उसने पश्चात्ताप नहीं किया। एक दिन उसे स्वर्ग से मरिया उसे क्षमा प्रदान करने का दर्शन हुआ और उस दर्शन ने उसमें पश्चात्ताप उत्पन्न किया। 45 साल की आयु में जेल से छुटने पर उसने मरिया की माँ से मिल कर अपनी गलती के लिए माफ़ी माँगी और तत्पश्चात एक मठ के फ़्रानसिस्की सन्यासियों की सेवा में अपना शेष जीवन बिताया।

1950 में संत पापा ने मरिया गोरेत्ती को संत घोषित किया। उस धर्मविधि में भाग लेने के लिए मरिया की माता और अलेस्सान्द्रो भी उपस्थित थे।

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