नवंबर 04 | संत चार्ल्स बोरोमियों

नवंबर 04 | संत चार्ल्स बोरोमियों

संत चार्ल्स बोरोमियों का जन्म मिलान, इटली के कुलीन परिवार में 2 अक्टूबर 1538 को हुआ। इनके माता-पिता का समाज में प्रतिष्ठित स्थान था। बचपन से ही चार्ल्स बोरोमियों कुशाग्र बुद्धि के थे तथा कलीसिया की सेवा करने हेतु उत्सुक रहते थे। उनके पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आयी। किन्तु फिर भी उनका ध्यान हमेशा कलीसिया की सेवा करने की ओर रहा। बाद में उनके भाई की मृत्यु के बाद तो पारिवारिक स्थिति और भी अधिक गंभीर हो गयी। किन्तु चार्ल्स ने इन सब से ऊपर कलीसिया की सेवा करने की अपनी बुलाहट पर ध्यान दिया और पुरोहित बने।

युवा चार्ल्स में नेतृत्व तथा संगठन की देखरेख करने के अनेक गुण थे। उनके गुणों तथा मेधावी दूरदर्शता के कारण वे जल्द ही मिलान के महाधर्माध्यक्ष बने।

इसी दौरान कलीसिया में प्रोटेस्टंट आन्दोलन की शुरूआत हुयी। चार्ल्स जानते थे कि प्रोटेस्टेंट आंदोलन का सटीक जबाव काथलिक कलीसिया में सुधारों को लागू करके ही दिया जा सकता है। इसी विचार से उन्होंने अपने धर्मप्रांत मिलान में सुधारों को लागू करना प्रारंभ किया। कलीसिया के प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को उन्होंने कठोरता के साथ कुचला, कलीसिया से लौकिक भव्यता, भ्रमित करने वाली रीतियों-धारणाओं आदि को समाप्त किया तथा पुरोहितों की शिक्षा-दीक्षा तथा उनके आदर्श आध्यात्मिक एवं बौद्धिक निमार्ण के लिये स्कूल, सेमीनरी तथा महाविघालयों की स्थापना की। उन्होंने कलीसिया को प्रोटेस्टेंट आंदोलन से बचाने के लिये ट्रेन्ट की धर्मसभा बुलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी तथा अनेक देशों तथा स्थानीय जगहों पर जाकर कलीसिया पर लगने वाले आरोपों का विवेक तथा तर्क के साथ बचाव किया।

दिन-रात प्रशासनिक कार्यों, सुधारों तथा यात्राओं की थकान का असर चार्ल्स के स्वास्थ्य पर सीधा पडा जिससे वे गंभीर रूप से बीमार हो गये तथा 03 नवम्बर 1584 को स्वर्ग सिधार गये।

संत चार्ल्स का जीवन कलीसिया के प्रति सेवा, त्याग, समर्पण, कर्तव्यबद्धता तथा बुद्धिमता का जीवन है। महाधर्माध्यक्ष होते हुये भी उन्होंने कलीसिया के विकास, प्रशासनिक-सुधार तथा संगठन के लिये कठोर परिश्रम किया। अपनी बुद्धि तथा गुणों को कलीसिया के उत्थान में लगाकर उन्होंने सभी धर्माध्यक्षों, पुरोहितों के लिये एक आदर्श छोडा। संत पापा पौलुस पंचम ने 1610 को इन्हें संत घोषित किया। वे धर्माध्यक्षों, धर्मशिक्षकों, सिमनरियन, धार्मिक अगुवाओं तथा ब्राजील, कैलीफोर्निया, इटली, लोमबारडी के संरक्षक संत है।

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