सूरज से गुफ्तगू #40

तुजसे बार बार मोहब्बत हो रही है
कभी तेरी गुस्ताखियों से
तो कभी तू मुझे जैसे देखे, उस नज़र से
कभी तेरी मुस्कराहट से
तो कभी तू जैसे मेरे करीब आये, उन बाहो से
कभी तेरी अनकही बातो से
तो कभी तू रूठ जाये, उस अंदाज़ से
बस तुजसे बार बार मोहब्बत हो रही है
कभी तेरी हरकतों से, तो कभी, बेवजह सही पर तुजसे.

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